बढ़ते कोविड-19 संक्रमण के कारण परमाणु अप्रसार संधि पर समीक्षा सम्मेलन स्थगित

थलीफ दीन द्वारा

न्यू यॉर्क (आईडीएन)— न्यू यॉर्क शहर में कोरोना वायरस के संक्रमणों में हुई वृद्धि के कारण बनी हुई गतिरोध जैसी स्थिति में संयुक्त राष्ट्र को परमाणु अप्रसार संधि (एनपीटी) के बहु-प्रतीक्षित 10वें सम्मेलन (रेवकॉन) को स्थगित करना पड़ा, जिसका आयोजन 4 से 28 जनवरी के बीच होना तय हुआ था.

डायने बार्न्स, एनजीओ संपर्क कार्यालय निरस्त्रीकरण मामलों के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (यूएनओडीए), ने साफ़ तौर पर कहा: "जनवरी 2022 में किसी भी प्रारूप में समीक्षा सम्मेलन नहीं होगा".

यह रेवकॉन का तीसरी बार हुआ स्थगन है, इसके पहले जनवरी 2021 और अगस्त 2021 में भी यह स्थगित हुआ था. मार्च 2020 में यूएन लॉकडाउन मोड में चला गया.

एनपीटी संधि पर समीक्षा सम्मेलन हर पांच साल में एक बार होता है.

प्रतिनिधियों को लिखे पत्र में रेवकॉन के नामित-अध्यक्ष गुस्तावो ज़्लौविनेन ने कहा: "मैं समझता हूं कि यह राजकीय पक्षों के लिए बेहद निराशाजनक है क्योंकि वे समीक्षा सम्मेलन के महत्वपूर्ण कामों को नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन मौजूदा हालात हमारे लिए कोई दूसरा विकल्प नहीं छोड़ रहे हैं".

एक प्रतिनिधि नें मज़ाक में कहा: "फैलती महामारी और परमाणु हथियारों के बीच छिड़ी जंग में महामारी ही लगातार जीतती आ रही है," एक ऐसा वायरस जिसने दिसम्बर 2019 से अब तक दुनिया भर में  54 लाख से ज़्यादा लोगों की जानें ले चुका है.

27 दिसम्बर को, शेफ़ डी कैबिनेट ने रेवकॉन के नामित-अध्यक्ष को एक पत्र लिखा जिसमें उन्होंने यह सुझाव दिया कि कोविड-19 की मौजूदा परिस्थिति को देखते हुए सचिवालय जनवरी 2022 में दसवें एनपीटी समीक्षा सम्मेलन का आयोजन भौतिक रूप से करवाने की स्थिति में नहीं है.

इसका बुनियादी कारण यह है कि यूएन के 9,900 से ज़्यादा कर्मचारियों में से ज़्यादातर घरों से काम कर रहे हैं. अस्थाई "ऑफ़िस लौटने" (आरटीओ) को पिछले महीने स्थगित कर दिया गया और 9 जनवरी से लेकर अगली सूचना तक घरों से काम करने की "फ़्लेक्सिबल व्यवस्था" जारी रहेगी.

2022 में यूएन मुख्यालय में सुविधाओं और सेवाओं की उपलब्धता पर सचिवालय का सुझाव आने के बाद, नामित-अध्यक्ष ने समीक्षा सम्मेलन के लिए अगस्त 2022 की 1 से 26 तारीख तक एक अस्थाई होल्ड बनाने को कहा. वो तारीखें बाद में राजकीय पक्षों द्वारा औपचारिक पुष्टि के अधीन होंगी.

जब यह पूछा गया कि स्थगित चार-सप्ताहों वाले अधिवेशन में कोई ब्रेकथ्रू आने की उम्मीद है, तोकैंपेन फ़र पीस, डिज़ॉर्ममेंट एंड कॉमन सेक्यूरिटी के अध्यक्ष, इंटर्नेशनल पीस ब्यूरो के उपाध्यक्ष जोसेफ़ गेर्सन , ने आइडीएन से कहाकि एनपीटी समीक्षा सम्मेलन के परिणाम के लिए उम्मीदें बेहद कम रह गई हैं, और यह स्थगन दुनिया भर के परमाणु हथियार उन्मूलनवादियों और हथियार नियंत्रकों की उम्मीदों को बढ़ाने के लिए कुछ भी नहीं करता है.

उम्मीदें इतनी कम क्यों हैं?

उन्होंने आगे कहा, "परमाणु हथियारों से लैस देशों द्वारा अपने अनुच्छेद VI दायित्वों को पूरा करने से इनकार, 1995, 2000 और 2010 के समीक्षा सम्मेलनों के समझौतों को पूरा करने में उनकी विफलता, यह वास्तविकता कि उनकी खतरनाक हथियारों की दौड़ में दिख रही तेज़ी, और ताइवान, यूक्रेन और कश्मीर में जारी टकराव जो हो सकता है कि दुर्घटनावश या गलत अनुमान के कारण एक विनाशकारी परमाणु युद्ध को ट्रिगर करे."

गेर्सन ने कहा कि यहां संयुक्त राष्ट्र में हमें ऐसा लगता है कि एक कारण यह भी है कि बाइडेन सरकार अपने न्यूक्लियर पोश्चर रिव्यू में "नो फ़स्ट यूज़" को नहीं अपनाने वाली है जिससे हमें डर यह है कि ऐसे सैद्धांतिक परिवर्तन का चीन यह मतलब निकालेगा कि ताइवान पर कब्ज़ा करने के लिए न्यौता है.

उन्होंने बताया, इसके अलावा, अमेरिकी परमाणु शस्त्रागार को अपग्रेड करने के लिए लगभग दो ट्रिलियन डॉलर खर्च करने की निरंतर प्रतिबद्धता गहरी चिंता का कारण है और अमेरिकी नीतियों में बदलाव पर जोर देने के लिए लोगों को कार्रवाइयों में जुटाया जा रहा है.

गेर्सन का तर्क है कि जब आख़िरकार समीक्षा सम्मेलन का आयोजन होगा, उसमें अगर कोई ब्रेकथ्रू नहीं भी होगा तो यह संभव है कि मध्य पूर्व को परमाणु हथियार और डब्लूएमडी फ्री-ज़ोन बनाने की दिशा में प्रगति करने के दायित्व को पूरा करने की आवश्यकता को संबोधित करने वाली भाषा से भी रेवकॉन को "विफल" करार दिए जाने से बचा जा सकता है.

और ब्रेकथ्रू शायद ही मिले पर, पिछले रेवकॉन के समझौतों को पूरा करने की दिशा में कुछ सार्थक कदम उठाने पर विश्वसनीय सी प्रतिबद्धताओं की उम्मीद तो की ही जा सकती है.

20 दिसम्बर को जारी एक वक्तव्य में व्यापक परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि संगठन (सीटीबीटीओ) ने कहा, "वैश्विक महामारी की पृष्ठभूमि में, ईरान परमाणु वार्ता के इर्दिगिर्द मंड़राती हुई अनिश्चितता, और देशों के अपने परमाणु हथियारों के भंडार को उन्नत करने या बढ़ाने के प्रयास,  इन सबको  देखते हुए, ऐसा नहीं लगता कि कई विवादास्पद मुद्दों पर आम सहमति के लिए बहुत ज़्यादा जगह बची हो जिन पर चर्चा की जाएगी".

एक मुद्दा जिस पर कई देश सहमत हो सकते हैं, वह है समग्र परमाणु परीक्षण-प्रतिबंध संधि (सीटीबीटी) और निगरानी प्रणाली जिसे सीटीबीटीओ ने निर्मित किया है ताकि कहीं पर भी और किसी के द्वारा भी होने वाले परमाणु विस्फोटों का पता लगाया जा सके. बयान में कहा गया है कि यह अत्याधुनिक प्रणाली दुनिया में अद्वितीय है और सार्वभौमिक, गैर-भेदभावपूर्ण और सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण भी है.

विवाद के उन क्षेत्रों के बारे में पूछे जाने पर जिन पर 2022 में आयोजित आगामी रेवकॉन में आम सहमति नहीं बन सकती है, गेर्सन ने कहा कि विवाद का सबसे बड़ा क्षेत्र संभवतः भाषा पर होगा जिसके लिए परमाणु शक्तियों को अपने अनुच्छेद VI परमाणु हथियार दायित्वों को पूरा करने के लिए विश्वसनीय कदम उठाने की आवश्यकता होगी.

उन्होंने तर्क दिया कि दुनिया के कई देशों में इस भरोसे की कमी कि दुनिया भर के परमाणु शत्रों का खात्मा करने के लिए परमाणु शक्तियां सद्भावना के साथ वार्ता में शामिल होने का इरादा रखती हैं, इसी बल ने परमाणु हथियारों की निषेध-संधि पर वार्ता करने के लिए मज़बूर किया.

"यह मानने का हर कारण है कि परमाणु शक्तियां परमाणु रंगभेद अव्यवस्था को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध हैं. यह तब तक बदलने की संभावना नहीं है जब तक हम निरंतर परमाणु खतरों की तात्कालिकता के बारे में अंतरराष्ट्रीय समझ को जुटाने और सरकारी नीतियों को बदलने के लिए ज़बरदस्त जन कार्रवाइयों के लिए एक साधन नहीं खोज लेते," गेर्सन ने ऐलान किया. 

उन्होंने चेतावनी दी कि मध्य पूर्व को परमाणु और डब्लूएमडी-मुक्त क्षेत्र के रूप में निर्मित करने की दिशा में प्रगति की भाषा पर अमेरिकी मोह को अमली जामा पहनाना मुश्किल होगा.

गेर्सन ने कहा, अलोकतांत्रिक अमेरिकी एलेक्टोरल कॉलेज प्रणाली, अश्वेत मतदाताओं को मताधिकार से वंचित करने के लिए जारी दक्षिणपंथी अभियानों और राज्य और स्थानीय चुनाव कार्यालयों के नियंत्रण हथियाने आदि के प्रति राष्ट्रपति बाइडेन और डेमोक्रेटिक पार्टी बेहद रक्षात्मक होती जा रही है.

उन्होंने कहा, "इस हालात में, बाइडेन प्रशासन को उन मतदाताओं को ठेस पहुंचाने की खतरा मोल लेना संभव नहीं होगा जो इजरायल की नीतियों का आंख मूंदकर समर्थन करते हैं."

दूसरी ओर, सीटीबीटीओ ने अपने बयान में कहा कि सीटीबीटी हर जगह, हर किसी के द्वारा और हमेशा के लिए सभी परमाणु विस्फोटों पर प्रतिबंध लगाता है. संधि का पालन लगभग सार्वभौमिक है - 185 देशों ने हस्ताक्षर किए हैं और 170 ने पुष्टि की है - लेकिन यह अभी तक लागू नहीं हो पाया है. ऐसा करने के लिए, संधि के अनुबंध 2 में सूचीबद्ध सभी 44 देशों द्वारा इसकी पुष्टि की जानी चाहिए, जिनमें से आठ अभी भी लापता हैं.

सीटीबीटीओ ने यह सुनिश्चित करने के लिए कि कोई भी परमाणु विस्फोट ऐसा न हो पाए जिसका पता ही न चले, एक अंतर्राष्ट्रीय निगरानी प्रणाली (आइएमएस) की स्थापना की है. वर्तमान में, 302 प्रमाणित सुविधाएं—कुल 337 में से जब पूर्ण होंगी— दुनिया भर में काम कर रही हैं, जो चार मुख्य तकनीकों का उपयोग कर रही हैं: भूकंपीय, हाइड्रोकॉस्टिक, इन्फ्रासाउंड और रेडियोन्यूक्लाइड.

आइएमएस द्वारा पंजीकृत डेटा का उपयोग भूकंप की निगरानी, सुनामी की चेतावनी, और परमाणु दुर्घटनाओं से रेडियोधर्मिता पर नज़र रखने के साथ-साथ व्हेल प्रवास, जलवायु परिवर्तन या मानसून बारिश की भविष्यवाणी जैसे विविध क्षेत्रों में अनुसंधान के लिए भी किया जा सकता है. [आइडीएन-इनडेप्थन्यूज़ – 01 जनवरी 2022]

फ़ोटो: संयुक्त राष्ट्र महासभा हॉल को विलंबित 2020 एनपीटी समीक्षा सम्मेलन की मेज़बानी के लिए अगस्त 2022 या उससे आगे तक इंतजार करना होगा. क्रेडिट सोफ़िया पैरिस/यूएन.